नई दिल्ली: कोरोना (coronavirus) संक्रमण पर रोकथाम लगाने के लिए भारत समेत विश्व के सभी देश वैक्सीन (Vaccine) तैयार करने में जुटे हुए हैं. कोरोना को लेकर आलोचना झेलने वाला देश चीन भी वैक्सीन के ट्रायल में लगा हुआ है. चीन में वैक्सीन का ट्रायल अभी अपने तीसरे चरण में है. इस बीच ग्लोबल सर्वे (Global Survey) में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. इस सर्वे के मुताबिक वैश्विक स्तर पर चार में से एक वयस्क कोरोना का टीका नहीं लगवाना चाहता है. इसके पीछे का कारण टीकाकरण के बाद होने वाले दुष्प्रभाव की आशंका है. भारत की करें बात करें तो यहां भी 13 फीसदी लोग इसी आशंका के चलते टीकाकरण नहीं करवाना चाहते.
27 देशों में किया गया सर्वे
वैश्विक शोध संस्था इप्सास ने विश्व आर्थिक मंच के लिए 27 देशों में यह सर्वे किया है. सर्वे में 20 हजार लोगों को शामिल किया गया. इसके बाद संस्था ने लोगों से कोरोना वैक्सीन और टीकाकरण को लेकर प्रश्न किए. इस दौरान करीब 74 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह वैक्सीन लगवाना चाहेंगे. इस सर्वे में संस्था ने भारत के लोगों को चीन और सऊदी अरब के बाद तीसरी सबसे बड़ी आशावादी सोच वाली आबादी की श्रेणी में रखा है. जिसके मुताबिक 2020 में कोरोना की वैक्सीन आ जाएगी.
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इप्सास के सर्वे के मुताबिक, चीन के 97 फीसदी लोगों ने वैक्सीन बनने और टीकाकरण करवाने के लिए सहमति जताई है. सर्वे के लिहाज से विश्व के अन्य देशों की तुलना में चीन में ऐसा मानने वालों की संख्या सबसे अधिक है, जबकि रूस के 54 फीसदी लोगों ने ही वैक्सीन आने पर रुचि दिखाई है.
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87 फीसदी लोग टीकाकरण करवाना चाहते हैं
इप्सास के सर्वे में पाया गया है कि चीन के 97 फीसदी, ब्राजील के 88, ऑस्ट्रेलिया के 88 और भारत के 87 फीसदी लोग टीकाकरण करवाना चाहते हैं. यह संख्या विश्व के अन्य देशों की तुलना में अधिक है. टीकाकरण से दुष्प्रभाव की आशंका जाहिर करते हुए रूस के 54 फीसदी, पोलैंड के 56 फीसदी, हंगरी के 56 फीसदी और फ्रांस 59 फीसदी लोग ही टीकाकरण करवाना चाहते हैं. इस सर्वे में अमेरिका, मलेशिया, कनाडा, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, पेरू, अर्जेंटीना, नीदरलैंड, स्वीडन मैक्सिको, स्पेन और इटली भी शामिल हैं.
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